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तांका-8

 

सुशील शर्मा

 

 

मेरी कविता
डायरीयों के पृष्ठ
तुम्हारे अक्स
शब्दों के भीने रंग
भावनाओं की कूची।

 

तुम्हारे खत
रखे हैं किताबों में
सम्हाल कर
अनुत्तरित प्रश्न
कभी दोगे उत्तर।

 

चाँद की ओट
नयनों के नखरे
कांपते होंठ
मन की अभिलाषा
प्रेम की परिभाषा

 

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