सुशील शर्मा
खूंटी पे टंगा
कलेंडर खामोश
गुजरा वक्त
प्रतीक्षारत मन
सारी तिथियां मौन।
ऊगा सूरज
फिर फैला उजाला
कुछ बादल
आशाओं का आकाश
नदियों सी सदियां।
मुर्दा सन्नाटा
जिन्दा आदमी कांपा
ईसा को सूली
गांधी का रामराज्य
आतंकियों की टोली।
गांधी की हत्या
खंडित काल खंड
ईसा की सूली
सलीब पर टंगा
असहाय सा सच।
मानव दम्भ
सांसारिक सम्बन्ध
स्वार्थ प्रबंध
रिश्तों का अनुबंध
समाज का पाखंड।
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