Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
Administrator

तांका*-9

 

 

सुशील शर्मा

 

 

सदी सी लंबी
यादों की ये बारात
गहरी चोटें
भूलना है मुश्किल
सहना ही सहना।

 

मन का धन
स्वस्थ रहे शरीर
मन प्रसन्न
परिवार हो सुखी
रिश्ते हों बहुमुखी।

 

सकपकाई
चर्चित सी चांदनी
छत पे आई
रातरानी की खुश्बू
महकता आँचल।

 

गुनगुनाती
अलसाई सुबह
गाल थपाती
कोहरे की रजाई
ओढ़े धूप मुस्काई।

 

Powered by Froala Editor

LEAVE A REPLY
हर उत्सव के अवसर पर उपयुक्त रचनाएँ