Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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ताँका-2

 

सुशील शर्मा

 

शुद्ध ह्रदय
भावना से संयुक्त
उर उन्मुक्त
भावना हो समग्र
व्यक्तित्व हो प्रबुद्ध।

 

हँसती लटें
चाँद जैसा लगता
तेरा चेहरा
मोंगरे का गजरा
खिलखिलाती धूप।

 

बूढ़े माँ बाप
जीने के हैं सामान
कबाड़ नहीं।
हमारे है अस्तित्व
सुरक्षित भविष्य।

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