मृत्यु के उस पार
क्या है एक और जीवन आधार|
या घटाटोप अन्धकार।
तीव्र आत्म प्रकाश।
या क्षुब्द अमिट प्यास।
शरीर से निकलती चेतना।
या मौत सी मर्मान्तक वेदना।
एक पल है मिलन का।
या सदियों की विरह यातना।
भाव के भवंर में डूबता होगा मन।
या स्थिर शांत कर्मणा।
दौड़ता धूपता जीवन होगा।
या शुद्ध साक्षी संकल्पना।
प्रेम का उल्लास अमित।
या विरह की निर्निमेष वेदना।
रात्रि का घुटुप तिमिर है।
या हरदम प्रकाशित प्रार्थना।
है शरीर का कोई विकल्प।
या है निर्विकार आत्मा।
है वहाँ भी सुख दुःख का संताप।
या परम शांति की स्थापना।
है वहां भी पाप पुण्य का प्रसार।
या निर्द्वंद अंतस की कामना।
होता होगा रिश्तों का रिसाव।
या शाश्वत प्रेम की भावना।
सुशील शर्मा
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