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विकास की बाट जोहता शहर

 

सुशील कुमार शर्मा

 

 

गाडरवारा शहर विकास की बाट जोह रहा है। पिछले 15 सालों में घिसटता हुआ रेंगता हुआ आगे बढ़ रहा है। इटारसी से जबलपुर के बीच में कृषि के कारण सबसे धनाढ्य होने के बाद भी गाडरवारा से विकास लगता है रूठ गया है। कोई शहर जब विकसित होता हैए तो उसके कुछ मानदंड होते है कुछ चिन्ह होते हैं।जिसके आधार पर हम कह सकते हैं कि वह शहर विकास की ओर अग्रसर है किन्तु विगत 15 वर्षों में गाडरवारा में ऐसा कुछ नहीं हुआ जिससे यहाँ के नागरिक कह सकें की हम विकास की और अग्रसर हैं। शहर के विकास का मुख्य लक्ष्य होता है की उस शहर के हर नागरिक को मूल बुनियादी सुविधाएँ उपलब्ध हों ,शहर के प्रत्येक नागरिक को स्वच्छ एवं न्यूनतम जीवन स्तर से जीने का अवसर मिले। हरेक नागरिक को एक सभ्य गुणवत्ता पूर्ण शहर एवं स्वच्छ पर्यावरण की दरकार होती है। किसी भी शहर के विकास का अर्थ होता है एक काम करता हुआ शहर जहाँ कम से कम बेरोजगारी हो ,सड़कें एवं इमारतें व्यवस्थित बनी हों, शिक्षा की उच्च गुणवत्ता युक्त व्यवस्था हो ,हर नागरिक को सुरक्षा एवं समान अधिकार मिलें एवं सबसे ऊपर एक शहर को दूसरे शहर के द्वारा सम्मान मिले। गाडरवारा अभी भी इन सब मानदंडों में बहुत पिछड़ा हुआ है।
करीब 20 वर्ष पहले राधेश्याम जायसवाल जब नगरपालिका अध्यक्ष थे तब उनकी आँखों में विकास का एक सपना था। उन्हें नए गाडरवारा के शिल्पकार के रूप में याद किया जाना चाहिए। एक समय था जब लड़इया नाला गाडरवारा का शोक माना जाता था। शहर के बीचों बीच यह नाला शहर पर बदनुमा दाग था किन्तु उनकी कल्पना एवं संकल्प शक्ति ने लड़इया नाले को ढक कर उसके ऊपर बाज़ार बसा दिया एवं शोक को आननद में बदल कर गाडरवारा को एक नया रूप प्रदान किया। यहाँ ये उदहारण इस लिये दिया की अगर संकल्प शक्ति को सर्वजन हिताय में लगा दी जाये तो अकल्पनीय कार्य सिद्ध हो सकते है। आज इस संकल्पशक्ति की कमी गाडरवारा के जन मानस एवं तंत्र में स्पष्ट दिख रही है। पिछले 15 वर्ष गाडरवारा के विकास के लिए सबसे ज्यादा निराशा जनक रहे हैं। इसका मुख्य कारण राजनैतिक इच्छाशक्ति का आभाव एवं नागरिक जागरूकता की कमी प्रमुख हैं।
गाडरवारा का विकास क्यों अवरुद्ध है अगर इसका विश्लेषण किया जाये तो राजनैतिक कारणों के अलावा मुख्या कारण नागरिक जागरूकता का अभाव है। हम गाडरवारा के नागरिक सामूहिक रूप से इसके जिम्मेदार हैं। आप वोट देकर जनप्रतिनिधि चुन सकतें है लेकिन उनमे इच्छाशक्ति को जगाये रखना भी हमारा कर्तव्य है। समस्त बुद्धिजीवी नागरिक आखिर चुप क्यों हैं ?क्यों हम अभी तक जन प्रतिनिधियों पर विकास के लिए दबाब नहीं बना पाएं हैं ?राजनैतिक इच्छा शक्ति तभी जाग्रत होती है जब उस पर नागरिक दबाब हो एवं तंत्र को नागरिकों का पूरा सहयोग प्राप्त हो। आज तक 15 सालों में कंही भी नगर के विकास की कोई बात नहीं होती पाई गई न कोई नागरिक रैली ,न ही कोई संवाद न ही कोई लेखन इस सम्बन्ध में दृष्टिगोचर हुआ है जिससे लगे की हम गाडरवारा के नागरिक विकास के बारे में सोच रहे हैं।
पिछले दिनों एक विरोध हुआ था जिसमे अध्यक्ष की कुर्सी पर कुत्ते के पिल्लै को बिठा दिया गया था। सभ्य समाज में इस प्रकार का विरोध उचित नहीं है। विरोध सकारात्मक होना चाहिए। विरोध से पहले हम देख लें की हम अपना नागरिक कर्तव्य निभा रहे हैं या नहीं। जब हम घर का कचड़ा सड़क पर फेंक रहे होते हैं ,जब नल की टोंटी खुली रहती है और हम अनदेखा करके बाजू से निकल जातें हैं ,जब सड़कों पर पान की पीकेँ थूंकतें हैं ,जब हम नगर पालिका के करों का भुगतान नहीं करते तो फिर हम विरोध कैसे कर सकतें हैं। जब तक हम अपने शहर के प्रति कर्तव्यों का पालन नहीं करेंगे तब तक विकास की बात करना बेमानी है। और अगर प्रदर्शन जरूरी हो तो उसको सकारात्मक होना चाहिए जिससे जनमानस में चेतना उत्पन्न हो एवं तंत्र पर काम करने के लिए दबाब बने। पिछले दिनों समाचार पत्रों एवं टेलीविज़न में मांझी की खूब चर्चा थी में जीतन राम मांझी की बात नहीं कर रहा हूँ बल्कि उस मांझी की जिसने पर्वत को काट कर एक गांव को शहर से जोड़ दिया था क्या उस संकल्प शक्ति का एक हिस्सा भी हमारे अंदर नहीं पनपेगा? ,क्या हम इसी तरह सोते रहेंगे एवं विकास के लिए रोते रहेंगे। पिछले सप्ताह कुशलेंद्र श्रीवास्तवजी के लेख में गाडरवारा को जिला बनाने की बात कही गयी थी मैं इस बात का पुरजोर समर्थन करता हूँ। लेकिन क्या हम उस और बढ़ रहे हैं ?इसमें मुझे संदेह है।
गाडरवारा शहर उभरता हुआ जिला स्तर का एक भव्य शहर बन सकता है। NTPC की स्थापना के कारण इसके विकास की संभावनाएं खुल गईं हैं। यहाँ की जनसंख्या में तेजी से वृद्धि हो रही है एवं औद्योगिक गतिविधियाँ तेजी से पसर रही हैं इसे दृष्टिगत रखते हुए शहर के विकास की नई रूपरेखा तैयार होनी चाहिए। किन्तु अगर तंत्र सोता रहा एवं नागरिक जागरूकता अकर्मण्य रही तो विकास संभव नहीं हो सकता है।
किसी भी शहर की विकास योजनाएं आज के समय में बहुत सी बातों पर निर्भर करती हैं। ये विकास योजनाएं अक्सर शहर के आर्थिक विकास से जुडी रहती हैं। ये विकास योजनाएं बृहद विकास नीति के तहत बननी चाहिए एवं इसमें भविष्य को ध्यान में रख कर साफ रणनीति होनी चाहिए। शहर की सामाजिक ,आर्थिक एवं भौगोलिक परस्थितियों से सामंजस्य बिठा कर इन योजनाओं का क्रियान्वयन होना चाहिए।

 


विज़न डाक्यूमेंट

 

 


गाडरवारा के विकास का नक्शा योजनाबद्ध तरीके से बनना चाहिए। शहर का एक विजन डाक्यूमेंट होना चाहिए। हर सड़क ,हर मोहल्ला के लिए एक योजना एक रोडमेप होना आवश्यक है। हर वार्ड के पार्षद को चाहिए की उस मोहल्ले या वार्ड के सभी लोगों की सभा आयोजित कर उस वार्ड के विकास के बारे में लोगों का क्या अभिमत है?एवं आर्थिक रूप से किस तरह से साधन जुटाए जा सकते हैं ताकि उन सभी विकास के कार्यों को पूर्ण किया जा सके। विकास में जब तक नागरिकों की सहमति एवं सहभागिता नहीं होगी तब तक विकास अधूरा रहेगा। हर नगरपालिका के पास शहर के विकास एवं योजनाओं की विस्तृत विवरण एवं जानकारी होती है। लेकिन यह जानकारी कभी भी नागरिकों के साथ साझा नहीं की जाती है। नगरपालिका को चाहिए की वह नगर के प्रत्येक नागरिक को विकास की योजनाओं की जानकारी दे एवं उनके सुझाव आमंत्रित करे। शहर के प्रत्येक नागरिक का यह अधिकार है की उसे नगर के विकास की योजनाओं की पूरी जानकारी हो तथा इन योजनाओं के क्रियान्वयन में आने वाली हर आर्थिक एवं सामाजिक कठनाइयों को दूर करने में उसकी सहभागिता होनी चाहिए। नागरिकों से नगरपालिका को क्या अपेक्षाएं है इसका जागरूकता अभियान भी नगरपालिका को चलना चाहिए ताकि आम आदमी का जुड़ाव एवं सहभागिता नगर के विकास में हो सके। नगर के विकास के लिए पूरे नगर से सुझाव आमंत्रित करने चाहिए एवं सार्वजनिक बहुमत एवं प्राथमिकता के आधार पर दृढ़ इच्छाशक्ति से उन पर अमल होना चाहिए।
गाडरवारा नगर में विकास की असीम संभावनाएं हैं एवं NTPC के आने से नगर को कई लाभ मिल सकते हैं। प्रमुख विकास की योजनाओं का एक संक्षिप्त प्रारूप निम्न प्रकार से है।
1 - स्टेशन से आमगांव चौराहा एवं स्टेट बैंक चौराहा तक वन वे ट्रैफिक रोड बनना चाहिए।
2 - व्यापारियों के साथ समन्वय बना कर बजरिया एवं झंडा चौक का पुनर्निर्माण होना चाहिए।
3 -मुख्य सड़क मार्गों का अतिक्रमण हटना चाहिए।
4 -आदर्श स्कूल मैदान में स्टेडियम का निर्माण कार्य शीघ्र शुरू होना चाहिए।
5 - शक्कर नदी को पुनर्जीवित करने के लिए एक बड़ी योजना सरकारी एवं नागरिक सहयोग से शुरू होनी चाहिए।
6 - सभी कालोनियों में जिनमे एम पी इ बी कालोनी ,पंचवटी कॉलोनी एवं अन्य कालोनियों में बिजली ,पानी सड़क एवं नाली की पूर्ण व्यवस्था होनी चाहिए।
7 - नगर की सडको पर चलने में डर लगता है ,यातायात व्यवस्था सुचारू होना चाहिए।
8 - नगर के भीड़ वाले इलाकों में पुरुष एवं महिला शौचालय अवश्य होने चाहिए।
9 - शहर में ह्रदय रोग का हॉस्पिटल एवं उससे सम्बंधित पूरे इलाज की व्यवस्था होनी चाहिए।
10 -शहर में महिला महाविद्यालय एवं केंद्रीय विद्यालय की स्थापना होनी चाहिए।
11 - किसानो के लिए मिट्टी परिक्षण की प्रयोग शाला होनी चाहिए।
12 - वृद्धाश्रम एवं शिशु पाल्य गृह होने चाहिए ताकि अनाथ बच्चों एवं वृद्धों की देख भाल हो सके।
13 -गाडरवारा को जिला बनाने की मांग एक आंदोलन के रूप में उठनी चाहिए ताकि सरकार तक यह बात पुरजोर तरीके से पहुंचे।

14 .गाडरवारा शहर में एन टी पी सी की सहायता से इंजीनियरिंग कालेज के साथ साथ मेडिकल कालेज की स्थापना भी गाडरवारा में की जानी चाहिए।

15 .गाडरवारा शहर को साफ सुथरा बनाने के लिए "क्लीन जी ग्रीन जी "कार्यक्रम लांच करके उस पर शीघ्रता से अमल करना चाहिए।

ये मात्र कुछ बिंदु हैं जो की शहर के विकास के लिए मूल भूत आवश्यकताएं हैं ऐसे बिंदु हर नागरिक के मस्तिष्क में होंगे जिनको जानना जरूरी है। इनको पूरा करना एवं इन्हे प्राप्त करने के लिए सिर्फ नगरीय निकाय के प्रयास काफी नहीं होंगे इसके लिए शहर के हर नागरिक एवं राजनैतिक समूह व जनप्रतिनिधियों का सहयोग आवश्यक है।
प्रबंधन विकास का महत्वपूर्ण पक्ष है अगर प्राप्त सुविधाओं का सही प्रबंधन कर लिया जावे तो विकास का आधा रास्ता अपने आप तय हो जाता है। नगर निकाय को शहर की व्यवस्था के लिए अधिक जिम्मेदार बनाना पड़ेगा हमें अपने पुराने एवं अनौपचारिक सुस्त रवैया बदलने पड़ेगें।

शहर में कुछ संस्थाएं हैं जो जो शहर के विकास के लिए कुछ काम कर रहीं हैं। जिनमे रोटरी क्लब ने शहर के सबसे पुराने स्कूल को गोद लिया है एवं सदस्यों ने कुछ राशि स्वयं एकत्रित कर बाकीं जन सहयोग से उस विद्यालय को नया रूप प्रदान करने की कोशिश की है। गाडरवारा के पर्यावरण के प्रहरी के रूप में कदम संस्था काम कर रही है। पूरे शहर को हरा भरा बनाने में कदम साथी बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। करीब 576 से ज्यादा पौधों को वृक्ष बना चुकी ये संस्था गाडरवारा की ऑक्सीजन कही जा सकती है। उन सभी संस्थाओं एवं नागरिकों का अभिनन्दन जो नगर के विकास में अपना योगदान दे रहें हैं।
एक आदर्श शहर का विकास जीवंत एवं समकालीन होता है। ऐसा विकास जहाँ इतिहास के साथ साथ वर्तमान एवं भविष्य का सही तालमेल हो। हमें गाडरवारा के विकास के लिए ऐसे माडल को अपनाना पड़ेगा जिसमे हमें प्रदुषण एवं सामाजिक विषमताओं से न गुजरना पड़े। इसके लिए हमें ज्ञान ,नई सोच एवं दृढ़ राजनैतिक इच्छाशक्ति की जरूरत होगी तब हम एक ऐसा गाडरवारा प्राप्त कर सकते हैं जिसमे इतिहास ,संस्कृति, स्वच्छ प्रशासन ,पर्याप्त एवं व्यवस्थित आवागमन के साधन ,गुणवत्तापूर्ण शिक्षा ,व्यवसाय के पर्याप्त अवसर एवं स्वच्छ पर्यावरण होगा।

 

 

 

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