Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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विविध

 

सुशील शर्मा

 

 

कुछ गुजारी

कुछ गुजरने दी

बीती जिंदगी।

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कुछ वक्त दे

जिंदगी मिली मुझे

फुर्सत नहीं।

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वक्त तू सता

तेरे मन की बता

हारूँगा नहीं।

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हम अकेले

सफर पर निकले

बना कारवां।

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राह मुश्किल

संभल कर चलिए

आगे मंजिल।

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हाथ की रेखा

ज्योतिष की दुकान

फरेबी भाग्य।

 

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