सुशील शर्मा
कुछ गुजारी
कुछ गुजरने दी
बीती जिंदगी।
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कुछ वक्त दे
जिंदगी मिली मुझे
फुर्सत नहीं।
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वक्त तू सता
तेरे मन की बता
हारूँगा नहीं।
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हम अकेले
सफर पर निकले
बना कारवां।
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राह मुश्किल
संभल कर चलिए
आगे मंजिल।
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हाथ की रेखा
ज्योतिष की दुकान
फरेबी भाग्य।
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