सुशील शर्मा
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खामोश बूंदें
खूबसूरत उदासी
तुम्हारी यादें।
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गम हमारे
तुम्हे लगते प्यारे
टूटे किनारे।
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मेरे कातिल
सीने में तेरा चाकू
होंठों पे तुम।
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नजर उठी
वो नजर में चढ़े
नजर लगी।
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ये महफ़िल
तेरी ऐसी तो न थी
नागवार सी।
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जेहनसीब
जो होते तुम करीब
बदनसीब।
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शामे ए हिज़्र
तेरा रूठ के जाना
पत्थर दिल।
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आजमाइशें
तोड़ देती हैं दिल
समझा करो।
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इश्क़ मेरा
कतरे से दरिया
तुझ से बना।
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लहर आई
मिटा रेत से नाम
दिल से नहीं।
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नए हैं जख्म
तेरी वेबफाई के
मुझे मंजूर।
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