Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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वियोग

 

सुशील शर्मा

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खामोश बूंदें

खूबसूरत उदासी

तुम्हारी यादें।

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गम हमारे

तुम्हे लगते प्यारे

टूटे किनारे।

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मेरे कातिल

सीने में तेरा चाकू

होंठों पे तुम।

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नजर उठी

वो नजर में चढ़े

नजर लगी।

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ये महफ़िल

तेरी ऐसी तो न थी

नागवार सी।

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जेहनसीब

जो होते तुम करीब

बदनसीब।

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शामे ए हिज़्र

तेरा रूठ के जाना

पत्थर दिल।

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आजमाइशें

तोड़ देती हैं दिल

समझा करो।

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इश्क़ मेरा

कतरे से दरिया

तुझ से बना।

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लहर आई

मिटा रेत से नाम

दिल से नहीं।

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नए हैं जख्म

तेरी वेबफाई के

मुझे मंजूर।

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