Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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तुम

 

सुशील शर्मा

 

 

प्यारी सूरत
चांदनी सा चेहरा
किस के लिए।

 

एक चाहत
चाँद लेकर आना
सरगोशियां।

 

तुम न मिले
तुम्हारी तमन्ना थी
यादें ही सही।

 

प्रेम की पाती
किताबों के पन्ने
सूखते गुलाब।

 

उदास आँखे
कुछ कहती मुझे
बंद पलकें।

 

तुम न आओ
लौट जाओगे कल
यादें साथ हैं।

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