Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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हमने

 

अचरज इस बात पर क्यूँ के

 बाग के फूल महकते हैं।

हमने तो कागज़ के फूलों को

महकाया है।

ठोकर खा गिरे उन पर पाँव रख

बढ़ जाते हैं आप।

हमने तो गिरकर भी कई दफा

लोगों को उठाया है।

चाँद की चाँदनी मे कुछ सितारे

नज़र नही आते।

हमने उन्हे सूरज की रोशनी मे

बखूब चमकाया है।

 

 

रचनाकार:सुनील कुमार वर्मा:

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