Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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निरंतर

 

भूत,वर्तमान और भविष्य तीनो अच्छे
मित्र थे। वर्ष की आखिरी संध्या थी। भूत कुछ उदास दिखलाई दे रहा था। उसे
दुखी देख वर्तमान और भविष्य ने उसकी उदासी का कारण जानना चाहा। तब भूत ने
उन्हें कहा-"मित्रों,आज तुम दोनों के साथ मेरी यह आखिरी संध्या है...कल
से मै तुम दोनों से दूर हो जाऊंगा"। वर्तमान और भविष्य ने ध्यान से भूत
की बातें सुनी।भूत के उदासी का कारण जान कर वर्तमान ने भूत को समझाते हुए
कहा -"बस इतनी सी बात है, एक साल की बात है फिर देखना मै भी तुम्हारे पास
पहुँच जाऊंगा।वर्तमान की बातें सुनकर भूत की चिंता कुछ हद तक दूर हो गई।
पर अब उन्हे भविष्य की चिंता होने लगी-क्योंकि ऐसे मे भविष्य अकेला पड़
जाता। उनकी चिंता और उदासी का कारण जान कर भविष्य ने कहा-" मित्रों,तुम
दोनो दुःखी न हो,बस एक साल और... फिर मै भी तुम दोनो के पास पहुँच
जाऊंगा"। इतना सुनते ही सभी के चेहरों पर मुस्कान खिल गई।फिर क्या था-
तीनो मित्रों ने आने वाले नये साल का उत्साह के साथ स्वागत किया।

 

 


लेखक:सुनील कुमार वर्मा

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