रोटी के निवाले के लिए राहत कार्य हुआ.न सही तरीके से कार्य
किया गया और न ही सही राहत (मजदूरी) मिली.जाँच अधिकारी ने इसे गंभीरता से
लिया और बोला-``राहत कार्य कल से बंद करवाना है.बदले मे रोटियों के चंद
टुकड़े बंटवाना है".मजदूरों को बात लग गई.बोले-"बिना मेहनत के रोटी नही
खाएंगे".और इस तरह से मेहनत का उदय हुआ.
-सुनील कुमार वर्मा-
Powered by Froala Editor
LEAVE A REPLY