ऐसे ना देख....... मुझे हैरानियों के साथ !
मै वही शख़्स हूँ...... परेशानियों के साथ !!
बागों में घूमते आवारा भौरों से सावधान !
अब खेलने की उम्र नहीं तितलियों के साथ !!
बरसों से माँ का लाल गया फिर पूछा भी नही !
ख़ाक जियेगा जो भगा जिम्मेदारियों के साथ !
ज़िंदगी में कभी कुछ भूलना ही बेहतर है !
ऐसे ना जिओ जख़्म की निशानियों के साथ !!
सांता आता था बचपन में लिये "साँझ" तोहफे !
ये उमर ना कटेगी झूठी कहानियों के साथ !
सुनील मिश्रा "साँझ"
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