अपनी जेब से पूरा ....बाज़ार लाया !
बाप के लिये जूते.... उधार लाया !!
बीवी के लिये.... कंगन गढ़ा दिये !
माँ के लिये चूड़ियाँ.... बेकार लाया !!
दोस्तों के लिये पैसे की कोई कमी नहीं !
भाइ को घोपने धारदार कटार लाया !!
दो जून रोटियों को मुँह देखती बहन !
साली के लिये मारकर शिकार लाया !!
दद्दा खटिये पर पड़ा है "साँझ" बुख़ार से !
बेटे को छींक आयी नज़र उतार लाया !!
सुनील मिश्रा "साँझ"
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