भगवान का दिया कम नहीं है
जो नहीं है उसका ग़म नहीं है
कुछ लोग समझते हैं दिलजला
दर्द है ज़ुरूर पर हरदम नहीं है
आँसू भी निकल जाते हैं कभी
खारे बूँद हैं कोई शबनम नहीं है
कितने शायर हैं मेरे हर तरफ
ढूढता हूँ एक 'अदम' नहीं है
मिलके जाना 'साँझ' जब कभी
इसके आगे दूसरा जनम नहीं है
*** अदम - अदम गोंडवी साहब का नाम है ***
सुनील मिश्रा "साँझ"
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