Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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चल के पैदल ही तेरे साथ सफर कर लेंगे !

 

 

paidal

 

चल के पैदल ही तेरे साथ सफर कर लेंगे !
हम तेरी सादामिज़ाजी से बसर कर लेंगे !!

 

 

वैसे जी लें तेरे बिन ये मुमकिन नहीं !
शायद मरके जी, जीके मर कर लेंगे !!

 

 

ज़िदगी से चाह नहीं कि पायें सबकुछ !
बस आवो बाकी सारा कसर कर लेंगे !!

 

 

चाहत हो कोइ तो बस कह देना हमसे !
तेरी हर आह को अपनी उमर कर लेंगे !!

 

 

"साँझ" को पहवाह नहीं तेरे मज़हब से !
हर उस घूरती आँख को ज़हर कर लेंगे !!

 

 

सुनील मिश्रा "साँझ"

 

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