चल के पैदल ही तेरे साथ सफर कर लेंगे !
हम तेरी सादामिज़ाजी से बसर कर लेंगे !!
वैसे जी लें तेरे बिन ये मुमकिन नहीं !
शायद मरके जी, जीके मर कर लेंगे !!
ज़िदगी से चाह नहीं कि पायें सबकुछ !
बस आवो बाकी सारा कसर कर लेंगे !!
चाहत हो कोइ तो बस कह देना हमसे !
तेरी हर आह को अपनी उमर कर लेंगे !!
"साँझ" को पहवाह नहीं तेरे मज़हब से !
हर उस घूरती आँख को ज़हर कर लेंगे !!
सुनील मिश्रा "साँझ"
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