दाग इतनी आसानी से ना जायेगा,
हाथ पे लगा ख़ून पानी से ना जायेगा !
इसी किरदार से शुरू इसी पर खतम,
पन्ने फाड़दे कहानी से ना जायेगा !
जुर्म का बोझ बहुत है उसके शरीर में,
चार कंधों पर आसानी से ना जायेगा !
गोद सूनी, माँग उजड़ी, अनाथ बच्चे हुये,
दाग़ उसकी ख़ुद की कुरबानी से ना जायेगा !
मौला की मर्ज़ी है, कब बुलाता है अपने दर ,
"साँझ" किसी की मनमानी से ना जायेगा !
सुनील मिश्रा "साँझ"
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