एक ख़ता करके जब देखा मैंने !
जिंदगी तुझसे कुछ सीखा मैंने !!
पाप पुण्य कहाँ समझ आता है !
सीखा ना कर्म का लेखा जोखा मैंने !!
कोइ दोस्त हो और चाहे हो दुश्मन !
इंसानो से पेश आया सरीखा मैंने !!
वैसे तो हरदम तुम्हारा ख़याल रखा !
मुआफ करना ग़र बोला तीखा मैंने !!
"साँझ" सुख को समझा तभी जाकर !
दर्द से जब जोर से चीखा मैनें !!
सुनील मिश्रा "साँझ"
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