जो किसी के दिल तक ना उतरे वो बात कैसी है !
गले लग के भी ना मिले तो वो मुलाकात कैसी है !!
आगाज़ को देखकर ही परिणाम दिखाई देता है !
बग़ैर लगन, बिना जुनून की कोई शुरूवात कैसी है !!
किसी को मिली कुर्सी कोई जमीं पे बैठ गया !
ऊँच नीच पे चलने वाली ए जमात कैसी है !!
वो सबको हँसाता रहता, ज़िन्दादिल था !
आज मर गया तो ए मातम भरी बारात कैसी है !!
"साँझ" आप को कभी बदजुबानी करते नहीं सुना !
मैकदे से लौटे हो तभी आपकी हर बात कैसी है !!
सुनील मिश्रा "साँझ"
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