कोई बात हो, तो हो हज़ार की !
बिन मोल की हो तो बेकार की !!
हमने जब भी की बकवास की !
ए बात भी है ना समझदार की !
सब करते हैं यहाँ मिसटी बात !
हमें ख़याल है चटपटे अचार की !!
जो आया दिल सो कह दिया !
वही बात अदब ओ संस्कार की !!
किसी के काम आई कोई भी बात !
ख़ुशनसीब है "साँझ" ने विचार की !!
सुनील मिश्रा "साँझ"
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