कौन किसका कहा करता है
फिकर किसको रहा करता है
लहर ले जायेगी सब अपने साथ
आगे जो आया सब बहा करता है
और तो और हैं, क्या कहना
यही अपना ही डहा करता है
दिल भी अपना, ढीठ है बड़ा
जो तेरा हर वार सहा करता है
'साँझ' सपनों का महल हर दिन
इक तेरे ना आने से ढहा करता है
सुनील मिश्रा "साँझ"
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