टी.व्ही में बस देखिये, सास बहू बिग बाॅस
इन सबसे तो अच्छी है, बीबी की बकवासबीबी की बकवास, रोज रोज नयी वाली
ऊपर से आ धमकी है मेरी चचेरी सालीकहे 'साँझ' अब घर आकर हो जाता हूँ ढ़ेर
समय समय की बात है, बूढ़ा हो गया शेरपिया तुम्हरी याद में, रोवत हूँ दिन रैन
बिन चिट्ठी, बिन हालचाल हरपल हूँ बेचैनहरपल हूँ बेचैन, जबसे अबकी गये विदेशवा
रोज अटारी बोलके, कागा धड़कावे करेजवाकहे 'साँझ' अबकी जुदाई जान पे आई
मोरे हर आँसू की कइसन करोगे भरपाई
सुनील मिश्रा "साँझ"
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