Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
Administrator

लिखाय लिया

 

बाप का जिंदा रहत उ सबकुछ लिखाय लिया !
भाइन बने उल्लू, ख़ुद कै तकदीर बनाय लिया !!

 

अम्मा मरी तब घर वालन सब कमात रहे !
उहै घर पर रहा सारा जेवर छुपाय लिया !!

 

हराम कै माल से जब जेब गरुआय लगी !
रोज देशी कै चार पन्नी लगाय लिया !!

 

जउन बीबी कै फटही साड़ी भी ना नसीब रही !
शहर से पाँच जोड़ी वकील से मँगाय लिया !!

 

उहौ सोचिस हमार पाप के घड़ा भरि गवा !
पंडित का बुलाय "साँझ" कथा सुनवाय लिया !!

 

 

सुनील मिश्रा "साँझ"

 

Powered by Froala Editor

LEAVE A REPLY
हर उत्सव के अवसर पर उपयुक्त रचनाएँ