Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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तुम्हार काम द्वी दिन मा करवाइ दें हम !

 

तुम्हार काम द्वी दिन मा करवाइ दें हम !
नोट खर्चा करो पेपर निकलवाइ दें हम !!

 

 

सुना है दफ्तर का चक्कर सालों से है !
घर बइठे पेंशन बैंक मा डलवाइ दें हम !!

 

 

काका इतने पैसे में तो फारम भी ना भरें !
बुज़ुर्ग हो, कहो बड़े बाबू से मिलवाइ दें हम !!

 

 

बड़े बाबू के साथ हमार बहुत जमत है !
मुँह खोलो सब गुत्थी सुलझाइ दें हम !!

 

 

नाम "साँझ", मिलूँगा चाय की दुकान पर !
कोर्ट,कचहरी का काम भी निपटाइ दें हम !!

 

 

सुनील मिश्रा "साँझ"

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