Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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तुम्हारे रुख पर जमाल अच्छा है

 

तुम्हारे रुख पर जमाल अच्छा है
हमारा तुझ पर कमाल अच्छा है

 

कब आवोगे हमारे ख़्वाबों में तुम
तुम्हारा नया ये सवाल अच्छा है

 

तुम्हारे बिन हर पल अधूरा सा लगे
कठिन है मगर बहरहाल अच्छा है

 

ज़िंदगी इतने बरस जी के जाना आज
अजब वो सोलहवाँ साल अच्छा है

 

'साँझ' तू हर वक़्त क्यूँ करे है तौबा
इश्क़ से जाँबलब साल ये अच्छा है

 

 

 

सुनील मिश्रा "साँझ"

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