उनको अपने जख़्म दिखाते रहना !
कभी कभी उनको भी रूलाते रहना !!
तुम्हारी श्रद्धा भी खूब है साहब !
यूँ अठन्नियाँ गंगा में बहाते रहना !!
एक ग़ज़ल मय पर भी ज़रूरी है !
अंगूर की बेटी को लब से लगाते रहना !!
वसीहत कहीं नादान हाथों में ना जाये !
उम्र भर यूँ ही ना कमाते रहना !!
रिश्ते नाते दोस्ती यारी का क्या भरोसा !
कभी कभार सबसे मिलते मिलाते रहना !!
अब तो "साँझ" अपने बच्चे भी भूल जाते हैं !
श्रवण कुमार की कहानियाँ सुनाते रहना !!
सुनील मिश्रा "साँझ"
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