Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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वो जाने लगा तो मैं रोया न था !

 

 

वो जाने लगा तो मैं रोया न था !
पर उसके बाद मैं सोया न था !!

 

 

मैं क्यूँ ना रहता बावला सा !
अनमोल मोती कभी खोया न था !!

 

 

आँसुओं को कभी गिरना नहीं पड़ा !
दर्द में भी तन भिगोया ना था !!

 

 

बिछड़ने का एहसास भी न था !
टूटी माला कभी पिरोया न था !!

 

 

"साँझ" पेड़ कटने का दर्द नहीं मालूम !
गुलशन में कभी एक बीज बोया न था !!

 

 

सुनील मिश्रा "साँझ"

 

 

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