Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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ये रास्ते मेरी मंज़िल का पता पूछते हैं

 

ये रास्ते मेरी मंज़िल का पता पूछते हैं
राह के पत्थर से मेरे पैर ख़ता पूछते हैं

 

 

कुछ दूर मेरे साथ कोइ चला ही था कि
जमाने वाले हमसे उसका रिश्ता पूछते हैं

 

 

औरों के नक्श-ए-कदम पर चल न सका मैं
घर वाले उल्टा चलने की वजह पूछते हैं

 

 

खाने कमाने को मैने दिल से ना लिया
पूछने वाले मेरे जीने का मुद्दा पूछते हैं

 

 

"साँझ" के मन मुताबिक कुछ हुआ ही नहीं
और आप हमसे ज़िंदगी का मज़ा पूछते हैं

 

 

सुनील मिश्रा "साँझ"

 

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