Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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बेटियां

 

1)दो-दो माँओ पर रहें,बिटियां का अधिकार।
इक से मिलता जन्म है,इक से घर संसार।।

2)पढ़ लिख कर मैं कर सकूँ,इस जहान पर राज।
बिटियां के सिर पर सजे ,भारत माँ का ताज।।

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3)सुन लो अब पापा जरा,मेरी आप पुकार।
जग में रही न बेटियां,सबकी होगी हार।।

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4)पैरों की छन-छन सदा,अधरों की मुस्कान।
बिटियां तेरी ज़िन्दगी,खुशियों की है खान।।

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5)बिन बेटी आँगन सदा,मन ही मन मुस्काय।
भाग्य विधाता धन दिए,लक्ष्मी नहीं सहाय।।

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6)बेटा मिलता कर्म से,बेटी तो सत्कर्म।
बेद पुरान सदा कहे,बेटी का हर मर्म।।

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7)भारत के रग-रग बसा,बेटी की गुणगान।
गंगा,सरयू,शारदा,तारे सकल जहान।।
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8)बेटी को जग मानता,निज पैरों की दास।
पत्नी ,बेटी ,माँ
बनी,फिर भी रही
उदास।।
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9)वह जन बेटी मारता,जिसको डर है आज।
कल की बेटी कर
रही,इस जहान पर राज।।

 

10)बिटियां चाँद की चाँदनी, सूरज की मुस्कान
हर कोने उजला करे,दीपक बिना मकान।।

 

 

 

कृति
सनी गुप्ता मदन

 

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