नवगीत
याद रहे
आसमां तले
ऐसे जिये
एक सादगी
एक ठहराव
जी भर कर पियो
गहमागहमी
बाली चहल पहल
स्ुाुलगते सवालो के न पूछे जवाब?
आक्रमणकारीयो के
न हो अब वार्तालाप
शान्ति सिर्फ न बने ख्वाब
इधर उधर
फैला न रहे
कब्रो का गर्द का गुबार
जंग के बीच
फैले सिर्फ फैले
हमदर्दी और प्यार
बैचैनी की बिचित्रता
न करे व्याकुल
गली कूचे घर बाहर
काली घटाटोप न हो साकुल
याद रहे
उस बक्त वे
कैसे दिन रहे हांेगे
फिरंगियों के खिलाफ
जब बंदेमातरम गाते होंगे
जान हथेली पर रखकर
जब पहली बार सडंक पर निकले होंगे
गाधी नेहरु सुभाष की
बैचैनी के क्या कहने होंगे
आजाद भगत की ऑखो से
नीद के झोके कैसे गायब हुऐ होंगे
मात्रभूमि की स्वतंत्रता के
सपने जब पहली बार जिन्दा हुए होंगे
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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