किस कदर प्रतीक्षारत्
मतवाला मानसून
इस अरबी शब्दो को
सच करता है जून
मानसून शब्द हमारी जीवन शैली में,
संस्कृति में रच बस गया है
इस भूखंड को
मानसून ने बहुत प्रभावित किया है
जब गायब होता है
तो हा-हाकार मचा देता है
हमसे कुछ लेता नहीं
हमे हर दम देता ही देता है
जीवन की नैया को
नई दिशा में खोलता है
जब बिन बरसे निकलता जून
खोजने लगते हम मानसून
मन्नत मनाते
गच्चा न दे मानसून
प्रकृति के इस विराट खेल का
अंदाजा इसी बात से पता चलता है
भारत के पश्चिमी तट पर करीब
75 अरब टन जल बरसता है
आसमान में चमत्कारी परिवर्तन होता है
पूरा का पूरा आलम महकता है
झमाझम पानी
लिखता है जीवन की नई कहानी
चहु ओर जमी पर
छा जाता रंग धानी
उमंग उल्लास लाता
पानी, मछलिया और जाल
खुशियों से भर जाता
पानी के आने से फिर एक साल।
-सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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