Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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बार बार

 
“बार बार”
पुकारो न हमे जिंदगी बार बार,  
चाहते है जीना हम भी बार बार...  छाएंगे अंधेरे मगर फिर भी ,  
हर सुबह होगी रोशनी बार बार...  
कूकेगी कोयल ,गाएगी बुलबुल ,  
वादी -ऐ -दिल महकेगी बार बार...  
जाओगे तोड़ रिश्ता , सब -ऐ -हिज्र मे,  
" लेकिन"  
याद तुमको हमारी आएगी बार बार 

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