एक साँस ले चुका...
एक साँस बाकी है....
दो सांसों के बीच मैं
अटका हुआ अस्तित्व मेरा
मै मुर्दा भी नही ..................
अभी दूसरी साँस लेनी बाकी है
मै जीवन और मृत्यु के बीच
फंसा हुआ अस्तित्व हूँ
जिसने कभी मोक्ष नही चाहा
सुरेन्द्र कुमार ’ अभिन्न ’
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