Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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ईश्वर के दरबार की सबसे प्यारी प्रार्थना

 

शादी!
ईश्वर के दरबार की
सबसे प्यारी प्रार्थना।

 

तमाम उमर जुड़ी रहें हथेलियाँ
भरी हों आँखें
बुदबुदाते रहे होंठ।

 

एक हल्की मुसकान की रेखा चेहरे की
गुलाबी ठंडी की कँपकँपाहट सी
छूते जाए रोमावली।

 

कुछ, भीतर इस कदर उतरा हो
कि सब कुछ वही सा लगे,
क्षण बीतना भूल सा गया
जीवन रितना गए वक्त की बात।

 

अहसास
संन्यासिन के माथे के लंबे तिलक सा,
संप्रेषण
शून्य की भाषा में।

 

कुछ भी तो नहीं, और सब कुछ
एक प्रार्थना की हूक उठी
एक साथ
दो अजनबियों में
इसी ईश्वर के दरबार में।
****

 

 

 

सुजश कुमार शर्मा

 

 

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