॥ रंगे हाथ ॥
लघुकथा
सुरेश शर्मा
उन्होने फाइल उलट-पलट कर देखी,फिर पूछा- ठीक है, कितने लाये हो ।
काम होता हुआ जानकर
उनके चेहरे पर चमक दौड गई । जेब से लिफाफा निकाल कर देते हुए बोले- ये पांच हजार हैं साहब ।
लिफ़ाफा लेते हुए वह कुछ कहने वाले थे कि तभी उनका पुत्र हाथ में कितबा पकडे हुए आकर पूछने लगा- पापा इसमें लिखा हुआ है कि रिश्वत लेना पाप है । रिश्वत का मतलब क्या होता है, पापा । सुनते ही वे क्रोध से तमतमा उठे । बालक को झापट लगाते हुए चिल्लाये- नालायक,तेरे को कितनी बार समझाया है कि जब मेरे पास कोई बैठा हो तो कमरे में मत आया कर ।
अपमान-बोध से रूआंसा होकर बालक गाल पर हाथ सहलाता हुआ करमे से बाहर जाने लगा तब उसके हाथ से किताब छूट चुकी थी ।
235,क्लर्क कालोनी
इंदौर।म.प्र.। 452011
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