मजदूरों के बराबर भी नहीे मिलती, जिनको दिहाॅडी़
इतने अभागे है मेरे प्रदेश के, आउटसोर्स कर्मचारी
पिछली सरकार से भी नहीं मिली उम्मीद, जिनको कोई प्यारी ।
नई सरकार से जिनको हैं उम्मीदें, बहुत सारी
दस से पाँच बजे तक बैठें, काम से न करें गद्धारी
इतने अभागे है मेरे प्रदेश के, आउट सोर्स कर्मचारी ।।
पच्चास रूपये किलो प्याज है, बढती जाती है महंगाई ।
देख के जिम्मेदारियाँ, सर्दी में पसीना आए
माँ-बाप को पूछते जमाने बीते, अब पत्नी भी बोलने है आई
कितनी है तुम्हारी, महीने की कमाई ।।
शर्म सी आती है, कैसे बताएं बेचारे
कि है कितनी, उनकी दिहाड़ी
इतने अभागे है मेरे प्रदेश के आउटसोर्स कर्मचारी ।
युवा होते देश का भष्विय कहती हैं सरकारें हमारी
फिर क्यों नही सोचते युवाओं के बारे में
बडे बडे नेता और कर्मचारी
कितने साल हैं वीते न बढती है सैलरी
न बनती पाॅलिसी न काॅनट्रेक्ट में लाते हैं
न बनती नीति सरकारी
इतने अभागे है मेरे प्रदेश के आउटसोर्स कर्मचारी ।।
सुषमा देवी
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