Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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बदलाव

 

 

एकल परिवारों का

ग्रहण बच्चों को लगा ।

टूटते संयुक्त परिवारों ने

दी बच्चों को सजा ।।

दादा दादी दूर हुये

नाना नानी मजबूर हुए।

मासूमियत मुरझा गई

ऊपर से प्रतियोगिता छा गई ।।

सब माँ - बाॅप की हुई जिम्मेदारी

उनका बच्चा हो होशियार ।

ड़फर बच्चे का न रहा अब कोई काम

कई बच्चों का सुख चैन नींद हराम।।


 

 

सुषमा देवी

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