एकल परिवारों का
ग्रहण बच्चों को लगा ।
टूटते संयुक्त परिवारों ने
दी बच्चों को सजा ।।
दादा दादी दूर हुये
नाना नानी मजबूर हुए।
मासूमियत मुरझा गई
ऊपर से प्रतियोगिता छा गई ।।
सब माँ - बाॅप की हुई जिम्मेदारी
उनका बच्चा हो होशियार ।
ड़फर बच्चे का न रहा अब कोई काम
कई बच्चों का सुख चैन नींद हराम।।
सुषमा देवी
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