धरती माँ हम सब की माता
आओ हम सब मिलजुल कर
इस माँ को खूबसूरत बनाएं ।
जन्म भूमि है पावन भूमि
इसको क्यूं न स्वर्ग बनाएं ।।
धरती माँ सब कुछ सह जाती
सर्दी गर्मी बर्षा को
हम सब के अत्याचारों को ।
मानव ही तो है रौंद्ध रहा
इस धरा के खूबसूरत नजारों को ।।
बंसुधरा ने सब कुछ दिया है हमको
फल, फूल ,ईधन और अनाज
धरती माँ के पेड़ - पौधों से ही है
हम सब जन के अन्दर प्राण ।
जल अमृत तुल्य हर जीव के लिए
जो समाया बंसुधरा के अन्दर है।
प्रकृति ने जो दिया बंसुधरा को
आओ हम सब उन उपहारों का सम्मान करें ।
धरती माँ के इस त्याग के लिए
कुछ तो अपना फर्ज अदा करें ।।
सुषमा देवी
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