Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
Administrator

बेटियाँ

 

कितनी सुन्दर कितनी प्यारी, कितनी होनहार होती हैं बेटियाँ

कभी माँ कभी बेटी तो कभी बहन बन हर रिष्ते को निभाती हैं बेटियाँ

हर घर हर आॅगन हर सुसराल का श्रृंगार होती है बेटियाँ

सुसराल और माईका दोनों तरफ के रिष्तों को निभाती हैं बेटियाँ

माॅं कहती तू पराई है, सास कहे तू पराए धर से आई

फिर भी दोनों घरों को अपना बतलाती हैं बेटियाँ

बोए जाते हैं बेटंे और उग आती हैं बेटियाँ

बिना सही खुराक के भी पल जाती हैं बेटियाँ

अपना अस्तित्व मिटाकर औरों का अस्तित्व बनाती हैं बेटियाँ

ईष्वर की अनमोल दौलत खजाना हैं बेटियाँ

छोटे बडे सबका ध्यान रखती हैं बेटियाँ

हर काम में मान सम्मान पाती व दिलाती हैं बेटियाँ

जरूरत पडे तो कभी रजिया सुल्तान तो कभी झाँसी की रानी बन जाती हैं बेटियाँ

कुषल गृहणी कुषल नेता कुषल होती हैं बेटियाँ

फिर भी क्यों कोख में ही मारी जाती हैं बेटियाँ




सुषमा देवी

 

 

Powered by Froala Editor

LEAVE A REPLY
हर उत्सव के अवसर पर उपयुक्त रचनाएँ