Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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भेदभाव

 

 

कोई भेदभाव न रखता पानी

सबकी समान प्यास बुझाता पानी

छोटा- बड़ा या हो गरीब- अमीर

सबकी जान की है यही ज़ागीर

जिंदा इसी से हैं सब प्राणी

छोटी बड़ी जैसी हो आयु

सबकी जान चलाती वायु

चींटी हो या हाथी भाई

प्राण न चले हाय बिन वायु

खून का रंग एक

एक सूर्य

एक धूप छाया

फिर भी देखे तो

मैं-मैं ,तू-तू

मज़हब,धर्म,अखाडे़

मानव ने फैला रखी है

अजीव सी दूरियों की माया।

 

सुशमा देवी

 

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