कोई भेदभाव न रखता पानी
सबकी समान प्यास बुझाता पानी
छोटा- बड़ा या हो गरीब- अमीर
सबकी जान की है यही ज़ागीर
जिंदा इसी से हैं सब प्राणी
छोटी बड़ी जैसी हो आयु
सबकी जान चलाती वायु
चींटी हो या हाथी भाई
प्राण न चले हाय बिन वायु
खून का रंग एक
एक सूर्य
एक धूप छाया
फिर भी देखे तो
मैं-मैं ,तू-तू
मज़हब,धर्म,अखाडे़
मानव ने फैला रखी है
अजीव सी दूरियों की माया।
सुशमा देवी
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