Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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चींटी

 

मेहनत करना हमें सिखती ।

भेद भाब न कोई रख पाती ।।

हर मौसम की मार है सहती ।

संगठन का हम को पाठ पढाती ।।

कभी न रकती कभी न थकती ।

अपना परया कभी न करती ।।

कर्म पे यह विष्वास है रखती ।

दाना दाना जमा है करती ।।

हारते हुए का हौसला बढ़ाती ।

गिरते हुए को सभंलना सिखाती ।।

आराम न करती बढती जाती ।

आगे बढने का राह बतलाती

 

 

 

सुषमा देवी

 

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