मेहनत करना हमें सिखती ।
भेद भाब न कोई रख पाती ।।
हर मौसम की मार है सहती ।
संगठन का हम को पाठ पढाती ।।
कभी न रकती कभी न थकती ।
अपना परया कभी न करती ।।
कर्म पे यह विष्वास है रखती ।
दाना दाना जमा है करती ।।
हारते हुए का हौसला बढ़ाती ।
गिरते हुए को सभंलना सिखाती ।।
आराम न करती बढती जाती ।
आगे बढने का राह बतलाती
सुषमा देवी
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