छुप्पन -छुपाई खेल, नभ में बादल दिखा रहे हैं
बरसते नहीं क्यों छम्म स,े क्यों ताब दिखा रहे हैं
शुष्क ठण्ड में लोगांे को क्यूँ, ज्यूँ सता रहे हैं
लगता है बरसेगे आज पर ये तो
मुँह मोड़ के जा रहे है
सूर्य देव भी अपना, खूब तेज़ दिखा रहे हैं
लगाकर धूप हम सब को, ठण्ड से बचा रहे है
देखो-देखो आ गए बादल, ढ़क दी धूप
और वो देखो फिर, बिन बरसे जा रहे हैं
इन्द्र देव क्यूँ रूठ गए, ठण्ड से क्यूँ डर गए
इन्सान की तरह देखो ,कैसे तेवर दिखा रहे हैं
किसान, बरखा नहारते जा रहे है
बरखा, रूठती जा रही है
बीच अंगड़ाइयाँ लेते, मौसम
ठण्ड से अक्कड़े जा रहे हंै,
फसल बौने सेे जा रही है
बरसते नहीं क्यों छम्म से क्यों ताब दिखा रहे हैं
छुप्पन -छुपाई खेल नभ में बादल दिखा रहे हैं
सुषमा देवी
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