Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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जिंदगी

 

अपने में महान जिंदगी ,सबको बाँटे ज्ञान जिंदगी

सैनिक के लिए देश की हिफाज़त ,किसान के लिए खलियान जिंदगी।

कभी मस्ती का धूम धड़ाका ,कभी माँगे बलिदान जिंदगी

कभी फूलों की कलियों जैसी,कभी बच्च्पन की गलियों जैसी।।

खेतों में हरियाली जैसी,मस्ती में दिवाली जैसी

चिड़ियों की चहचाहट जैसी, प्रियतम की आहट जैसी।

उगते सूरज की किरणों जैसी,वन में फिरते हिरणों जैसी

पहाड़ से गिरते झरनों जैसी,कभी तितली संग उड़ती जिंदगी।।

भंवरों जैसी गुनगुनाहट जिंदगी,कभी कोयल का गान जिंदगी

तपता रेगिस्तान जिंदगी,हर पल नया इम्तिहान जिंदगी।

कभी उगते सुरज जैसी, कभी ढलती शाम जिंदगी

बच्चों के बच्चपन जैसी, जवानी के लड़कप्पन जैसी।।

सबल -सुशिक्षित नारी सी,नवयुवक की बेरोजगारी जिंदगी

कभी यौवन की ढ़लान सी,कभी बुढापे की थकान जिंदगी।।

माँ की ममता का दुलार जिंदगी,भाई- बहन प्यार जिंदगी

रिश्तों बिना बेेकार जिंदगी ,इन्सानियत का आधार जिंदगी।

मेले में अकेली जैसी ,अनसुलझी पहेली जिंदगी

बच्चों की मुस्कान जिंदगी,हम सबके लिए भगवान का वरदान जिंदगी।।

 

 

 

सुषमा देवी

 

 

 

 

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