चुभ जाती हैं किसी की बातें खंजर की तरह
चाकू छुरे से ज्यादा वह दर्द दे जाती हैं ।
धुएँ मिर्ची से ज्यादा जहरीली इतनी
कि आखों से आँसुओं की बरसात
करवा देती हैं।।
हँसते हुए चेहरे पे एकदम
मायूसी ला देती हैं ।
खिलते हुए भावों को
पल में झनकोर कर रख देते हैं
कटाक्ष षब्दों के घाव
कभी नहीं भरते ।।
जब भी याद आते है
रुला कर चले जाते हैं।
हम तो यही सोच कर
खामोश रह जाते हैं
कि कटाक्ष शब्दों के बोल
दूसरों के दिल को ठेस पहँुचाते हैं।।
सुषमा देवी
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