Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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किताबें

 

मेरे मन को बहुत भाती हैं किताबें

मन में नया उत्साह जगाती हैं

कई रंग ,आकारों में होती हैं

जिंदगी का रंग मंच रचती हैं

मानव की सच्ची दोस्त होती हैं किताबें

मेरे मन को बहुत भाती हैं किताबें

अतीत से अवगत करवाती हैं

राजनीति का आईन दिखाती हैं

हमारी भूलों का अहसास करवाती हैं

गलतियों से अवगत करवाती हैं

ढेर सारा ़ज्ञान अपने अन्दर संजोए हैं किताबें

हमें मंजिल तक पहँुचाती हैं किताबें

मेरे मन को बहुत भाती हें किताबें

कभी उदास ,अकेला नहीं होने देती

टूटती उम्मीदों को साहस से भर देती हैं

नए- नए जोश जगाती हैं

हमें जिंदगी जीना सिखाती हैं

माँ सरस्बती की अनुभूति होती हैं

कभी छोड़ कर नहीं जाती हैं किताबें

मेरे मन को बहुत भाती हैं किताबें

 

 

 

सुषमा देवी

 

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