बड़े प्यार से माँ बच्चे का करती पालन- पोषण
खुद षोषित होती माँ पर, न होने दे उसका षोषण ।
बच्चे के खातिर माँ हर विपदा से भिड़ जाती
माँ की ताकत के आगे सारी दुनिया है झुक जाती ।।
माँ जैसी बच्चे की देखभाल कोई न कर पाए
खुद गीले में सोती मैया, सूखे में उसे सुलाए।
दूध धी मक्खन माँ लाल को अपने रोज़ खिलाए
ऐसी ममता मैया की जो लल्ला के दोष छुपाए ।
जरा खरोंच लगे बच्चे को दर्द माँ को हो जाये
थोड़ा सी तकलीफ उसे तो माँ पूरी रात न सोये ।।
बच्चे की सर्दी- ज़ुकाम से माँ की रूकती साँसे
बच्चा मेेरा तन्दरूस्त रहे हर माँ के दिल की आस ।
माँ की सब दुख तकलीफें पल में है हर जाती
लेकर गोदी में मैया जब लोरी उसे सुनाती
बड़े प्यार से उसके भविष्य को है वह संजोती।।
बच्चे की प्रथम गुरू माँ ही है होती
हर माँ के अन्दर होती मातृत्व की सरिता
निस्वार्थ प्रेम की माँ होती अनमोल दौलत ।
बिन माँ के बच्चे का होता नहीं है अस्तित्व
बिन मां के नहीं निखर पाता व्यक्तित्व
सुषमा देवी
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