Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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मेरा हिमाचल

 

मेरा हिमाचल बड़ा प्यारा

सुन्दर - सुन्दर न्यारा न्यारा ।

नभ से बातंे करते पर्वत

नभ को छूते करते कसरत ।।

बर्फ की चादर हैं ओढे़

जो कोई देखे मोहित होवे ।

कल- कल झर-झर झरते झरने

मन को आकर्षित लगे हैं करने ।।

छल- छल छल- छल नदियाँ बहती

चलते रहो सबसे है कहती ।

चहचहाते पंक्षी गाते

मिलजुल रहो संदेष हैं देते ।।

तरह- तरह के पेड़ खड़े है

जलवायु को स्वच्छ करें हैं ।

हरियाली से खेत भरे हैं

फल- फूलों के मज़े लगे है।।

हर मौसम के मज़े यहाँ है

कुदरत ने है हिमाचल को संवारा ।

मेरा हिमाचल बड़ा प्यारा

सुन्दर सुन्दर न्यारा न्यारा ।।

 


सुषमा देवी

 

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