मेरा हिमाचल बड़ा प्यारा
सुन्दर - सुन्दर न्यारा न्यारा ।
नभ से बातंे करते पर्वत
नभ को छूते करते कसरत ।।
बर्फ की चादर हैं ओढे़
जो कोई देखे मोहित होवे ।
कल- कल झर-झर झरते झरने
मन को आकर्षित लगे हैं करने ।।
छल- छल छल- छल नदियाँ बहती
चलते रहो सबसे है कहती ।
चहचहाते पंक्षी गाते
मिलजुल रहो संदेष हैं देते ।।
तरह- तरह के पेड़ खड़े है
जलवायु को स्वच्छ करें हैं ।
हरियाली से खेत भरे हैं
फल- फूलों के मज़े लगे है।।
हर मौसम के मज़े यहाँ है
कुदरत ने है हिमाचल को संवारा ।
मेरा हिमाचल बड़ा प्यारा
सुन्दर सुन्दर न्यारा न्यारा ।।
सुषमा देवी
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