तोड़़ के चारदीवारी का बन्धन
हर मुश्किल असां करती नारी है।
प्रेम, ममता, त्याग,तपस्याए सहनशीलता की मूर्त
न असहाय, न अवला, न बेचारी है।
शिक्षित ,स्वाभिमानी ,निडर व
हिम्मत का ़रूप आज की भारतीय नारी है।
आत्मबल से बढे़ आगे
गृहस्थी संग हर रिश्ता संभाले
अपने सपनों और चाहत को
पूरा करके दिखाती भारतीय नारी है।
सुन लो नारी के लिए
दायरे बनाने वालो
जरा गिरेवान में अपने झाँकों
माँ बहन बेटी पत्नी संग
दोस्त वह तुम्हारी है ।
घर समाज चाहे देश विश्व हो
हर जगह मान बढ़ाती सबका
जगजननी सृष्टी का श्रृंगार
बड़े बडे़ पद पर आसीन
नर की प्रेरणा आदर्श
न घुटती और न सिसकती
न खामोशी से अत्याचार सहती
आदर की अधिकारी है।
सीमा पर लड़ती
अंतरिक्ष में अनुसंधान करती
आज की सबल भारतीय नारी है।
सुषमा देवी
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