नारी के दर्द को कौन आकर सहलाएगा
बेवस नारी के घावों को क्या कोई मलहम लगाएगा
कई बर्षों से आजादी मिली है
नारी क्यों आजाद नहीं है
अस्मत लुटने का खौफ क्यों है
क्यांे न अजादी से घूम पाती है
पढ़ी - लिखी पूर्णतया सक्षम है
लाज बचाने को क्यों अक्षम है
क्या औरत के लिए कभी कोई आजादी न लाएगा
बेवस नारी के घावों को क्.....
मिला सकुन न इसको घर में
रिष्तों ने भी चकनाचूर किया
बची रावण के कहर से सीता
अपनों ने सीना छलनी किया
इन राह और सड़क मज़नुओं की मसकरियों से
क्या कोई नारी को राहत दिलाएगा बेवस नारी के घावों को क्.....
आहत होती छुप- छुप कर रोती
घुट- घुट कर सिसकियाँ सहमी होती
किससे वयाँ करे दर्द दिल का
सहम के रह जाती है न वयाँ कर पातीे
इस घुटन भरी जिल्लत की जिन्दगी से क्या आज़ाद कोई करवायेगा
बेवस नारी के घावों को क्.....
सुषमा देवी
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