Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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नवरात्रे

 

आए नवरात्रे जयकारों से, गूंजे रूह सुहानी।

प्यार से हर इक मन से निकले, जय माँ अष्ट भवानी।।

सब के लिए षुभ मंगल नवरात्रेे, माँ दुर्गा अष्ट भवानी।

हाथ जोड़ कर अर्ज करूं मैं, मेरी माता रानी

भेदभाव मिटा दे मन से, भूलों को माफ करदे

आस लगाई जिसने तुझसे, झोली उसकी भरदे।।

और माँ माँगें किस से, सारी है दुनिया बेगानी।

सब के लिए षुभ मंगल नवरात्रे,माँ दुर्गा अष्ट भवानी।।

नवरात्रों में नाम तेरे की, घर-घर जलती ज्योती।

छोटी- छोटी कंजके पूजे सब जन, हो नाम तेरे की खेती।।

अन्त न पाया किसी ने आपका ,अन्नत है माँ तेरी माया।

आँच न आने देती मैया, जिस जिस तुम्हें ध्याया।।

 

 

सुषमा देवी

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